यदि आपको पूर्ण संख्या से सम्बंधित कोई भी डाउट है तो आप पहले - 'पूर्ण संख्या क्या है ?' इस आर्टिकल को पढ़े उसके बाद ही आपको पूर्णांक संख्या (Integer number) क्या
है, purnank sankhya kise kahate hain ? और उसके गुणधर्म तथा प्रकार समझ आएंगे।
अन्यथा सब कुछ ऊपर ही ऊपर पार होने की ज्यादा संभवना है।
इस आर्टिकल के जरिये हम सीखेंगे-
पूर्णांक संख्या क्या है ? / परिभाषा | Integers defination in hindi
पूर्ण संख्याओं में जब सभी ऋणात्मक संख्याओं को सम्मिलित कर दिया जाता है तब
हमे जो संख्या प्राप्त होती है, उसे पूर्णांक संख्या कहा जाता है।
अथवा
शून्य के साथ धनात्मक व ऋणात्मक संख्याओं के समूह को पूर्णांक (Integer) कहा
जाता है।
अथवा
प्राकृत संख्याओं के साथ जब शून्य और ऋणात्मक संख्याओं को शामिल कर लिया जाता
है तो वह पूर्णांक संख्या (Integer Number) का समूह बन जाता है।
नोट:-
ऊपर दिए गए परिभाषाओं के अलावा भी पूर्णांक संख्या (Integer Number) को और कई
तरह से परिभाषित (Define) किया जा सकता है। तो चलिए अब पूर्णांक संख्या के
उदाहरण को देख लेते है। ताकि हमे और क्लैरिटी मिल जाये।
उदाहरण:- ....-5, -4, -3, -2, -1, 0, 1, 2, 3, 4, 5 ....
पूर्णांक संख्या के प्रकार-
पूर्णांक संख्या को मुख्यतः तीन प्रकार में विभाजित किया जाता है। मुझे उम्मीद
है की आपको भी उस विभाजन के बारे में अब तक ज्ञात हो गया होगा। यदि नहीं
तो चलिए एक झलक देख लेते है-
1. धनात्मक पूर्णांक (Positive Integer):-
एक से लेकर अनंत तक की संख्याए धनात्मक पूर्णांक की हिस्सा है।
जैसे:- 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7....
2. ऋणात्मक पूर्णांक (Negative Integer):-
-1 से लेकर अनंत तक की सभी ऋणात्मक संख्याए ऋणात्मक पूर्णांक की ही भाग
है।
जैसे:- .... -6, -5, -4, -3, -2, -1
3. शून्य (Zero):-
शून्य यानि की जीरो एक ऐसी संख्या जो न तो धनात्मक संख्या है और न ही ऋणात्मक।
इसलिए इसे एक अलग केटेगरी में रखा गया है।
2020 के UPSC Topper AIR- 9th प्राप्त करने वाली Dr. Apala Mishra के बारे में जाने ।
पूर्णांक संख्या के गुणधर्म / गुण | Properties
पूर्णांक संख्या के कुछ गुणधर्म है जो की पूर्ण संख्या से काफी मिलते-जुलते
है। ऐसा भी नहीं है की पूर्ण संख्या के सारे गुणधर्म पूर्णांक संख्या के
गुणधर्म से मिलते है पर कुछ गुणधर्म है जिनके बारे में हम आगे चर्चा
करेंगे।
1. पूर्णांक संख्याओं के योग और व्यवकलन के अंतर्गत संवृत गुण -
i.) योग के अंतर्गत संवृत गुण (Closure Property):-
जब दो या दो से अधिक पूर्णांक संख्याओं को जोड़ा जाता है तो हमे एक पूर्णांक
संख्या ही प्राप्त होता है। जो की बिलकुल पूर्ण संख्याओं की भाँति ही गुण को
दर्शाता है।
जैसे-
-3 + (-2) = -5 [ प्राप्त संख्या -5 भी एक पूर्णांक संख्या ही है।]
2 + (-5) = -3
ii.) व्यवकलन के अंतर्गत संवृत गुण (Closure Property):-
जब दो या दो से अधिक पूर्णांक संख्याओं को व्यवकलित यानि की घटाया जाता है तो
भी हमे पूर्णांक संख्या ही प्राप्त होता है।
जैसे:-
-2 - (-5) = 3 [3 भी एक पूर्णांक संख्या ही है।]
2- (-2) = 0
2. पूर्णांकों के योग के अंतर्गत क्रमविनिमेय गुण (Commutative Property):-
जब पूर्णांक संख्याओं को घटते, बढ़ते या किसी भी उलझे क्रम में सजाकर उसे जोड़ा
जाता है तो हल सामान ही प्राप्त होता है। पूर्णांक संख्याओं के इसी गुण को
क्रमविनिमय का गुण कहा जाता है।
जैसे;-
-3 + (-2) + (-1) = -1 + (-2) + (-3) = -2 + (-1) + (-3)
-6 = -6 = -6
इससे हमें यह प्राप्त होता है की पूर्णांक संख्याओं के योग अंतर्गत क्रमविनिमय
का गुण पाया जाता है।
NOTE :- यह
क्रमविनिमय का गुण व्यवकलन के अंतर्गत नहीं आता है। एक उदाहरण यह स्पष्ट कर
देता है।
-5 - (-3) -2 = -3 - (-5) - 2
-4 = 0
जैसा की ऊपर आपने देखा की यह बिलकुल ही गलत साबित हो रहा है।
3. साहचर्य का गुण (Associative Property):-
साहचर्य गुण क्रम-विनिमेय नियम का पालन कर करता है। पूर्णांक संख्याओं के
साहचर्य गुण (Associative Property) के प्रयोग से संख्याओं के समूह को बदल-फ़ेर
कर प्रश्न को आसान बना कर उसे हल किया जा सकता है।
जैसे:-
75, 25 और -15 संख्याएँ है जिसे जोड़ना है आइए इसके हल को निकलते है -
- -15 + [75+25] = 85 इस प्रकार कुछ और भी कठिन- कठिन सवालों का हल आसानी से निकला जा सकता है बस संख्याओं को सही स्थान पर रखकर उनका हल करे।
4. योज्य ततस्मक :-
पूर्ण संख्याओं की भाँति पूर्णांक संख्याओं का भी शून्य योज्य ततस्मक है।
क्योंकि शून्य के साथ किसी भी पूर्णांक को जोड़ने पर हमे वही पूर्णांक प्राप्त
होता है।
जैसे :- -4 + ० = -4
5. गुणन के अंतर्गत संवृत गुण :-
उपरोक्त परिभाषा के अनुसार जब दो या दो से अधिक पूर्णांकों को गुना किया
जाता है तो उसका हल भी हमे पूर्णांक संख्या ही प्राप्त होता है।
जैसे:-
-3 * (-25) = 75
20 * (-3) = 60
6. गुणन की क्रमविनिमेयता का गुण :-
पूर्णांक संख्याओं को किसी भी क्रम में सजाने से हमे हल एक सामान ही
प्राप्त होता है।
जैसे:-
20 * (-3) = -3 *20
-60 = -60
7. गुणन का साहचर्य गुण :-
जब किसी पूर्णांकों समूह को किसी भी स्थिति में सजाकर हल करने से उसका उत्तर
समान प्राप्त होता है तो उसे गुणन का साहचर्य गुण कहा जाता है।
जैसे -
[(-5)*(-5)]*4 = -5 * [ (-5) * 4]
100 = 100
8. गुणन का वितरण गुण (Distributive Property of Multiplication over
addition):-
चलिए इस गुणन के वितरण गुण को सीधे उदाहरण के द्वारा समझते है -
जैसे -
[-2 * 4] + [4*(-2)] = 4 * [ (-2) + (-2) ]
-16 = -16
इसी प्रकार वितरण विधि द्वारा कई कठिन से कठिन सवालो को बस चुटकियों में हल
किया जा सकता है।
9. शून्य से गुणन :-
किसी भी पूर्णांक संख्या को शून्य से गुना करने पर हमे शून्य ही प्राप्त
होता है।
10. गुणात्मक ततस्मक:-
पूर्ण संख्याओं की भांति पूर्णांकों का भी तत्समक 1 ही
है।
11. पूर्णांकों के विभाजन का गुण:-
किसी भी पूर्णांक को एक (1) से भाग देने पर हमे वह पूर्णांक संख्या ही
प्राप्त होता है।
नोट:- यहाँ नोट करने वाली बात यह है की पूर्णांकों को 1 से जोड़ने, गुना करने या
भाग देने पर हमे वही पूर्णांक संख्या प्राप्त होती है।
पूर्णांक संख्या के बारे में पढ़ने के बाद आपको यह ज्ञात हो गया होगा की 'पूर्णांक और पूर्ण संख्या में क्या अंतर है ?'
और यदि अभी भी यह समझ नहीं आया तो कमेंट कर अवश्य बताए।
पूर्णांक से सम्बंधित महत्वपूर्ण प्रश्न (FAQ)
- एक ऐसा ऋणात्मक पूर्णांक सोचिये की जिसका योग -8 हो।
- बताइए की 1 से 10 के बीच कितनी पूर्णांक संख्याएँ है।
- सबसे छोटी धनात्मक पूर्णांक संख्या। (उत्तर : 1)
- सबसे बड़ी ऋणात्मक पूर्णांक संख्या। (उत्तर: -1)
- सबसे छोटी ऋणात्मक और सबसे बड़ी धनात्मक पूर्णांक संख्या। (उत्तर: अनंत)
- दिए गए रिक्त स्थानों को भरिए : (-5) * [ (-18) + 2] = -5 * (-18) + (-5) * (.....)
- (-25) * (-25) का गुणनफल प्राप्त कीजिए।
- -1 * -1 * -1 का गुणनफल ज्ञात कीजिए।
- -5 / 1 और -5 / -1 को भाग दीजिए।
- 4 / (-1) को भाग दीजिए।
इसे भी पढ़े-
आशा करता हूँ की आपको 'पूर्णांक संख्या , '
what is integer in hindi' से सम्बंधित सभी डाउट क्लियर हो गए होंगे। और
मुझे पूरी उम्मीद है की आप परिभाषाओं को पढ़ने के बाद दिए गए प्रश्नो को अवश्य
हल करेंगे।
यदि यह आर्टिकल आपको पसंद आया तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर share
करे।
धन्यवाद!